
सन्त हिरदाराम नगर स्थित दीपमाला पागारानी संस्कार पब्लिक स्कूल तथा मुकिता इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित इन कार्यक्रमों में मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष मनोहर ममतानी व भोज मुक्त विश्वविद्यालय के निदेशक डॉ. रतन सूर्यवंशी ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि यूं तो सिन्धी समाज के साथ ही पंजाबी व बंगाली समाज भी विभाजन के शिकार हुए थे किंतु पंजाब व बंगाल का बंटवारा भारत व पाकिस्तान के बीच हुआ जिससे पंजाबी और बंगाली समाज को विभाजन के बाद के भारत में भी प्रान्त मिले किंतु सिन्ध प्रान्त पूरा पाकिस्तान में चला गया और सिन्ध से पलायन करने को मजबूर सिंधियों पर मुस्लिमों ने बहुत अत्याचार किए, बुजुर्गों के मुख से उन अत्याचारों को सुन कर रूह कांप जाती है, पूरा सिन्ध प्रान्त पाकिस्तान के हिस्से में चले जाने से सिन्धी बोली, भाषा, साहित्य व संस्कृति के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

आज भारत स्वाधीन है किंतु कुछ राष्ट्रविरोधी ताकतें आज भी राष्ट्र के टुकड़े करने की कुत्सित कोशिशें कर रही हैं, हमें उन कोशिशों को असफल करते हुए राष्ट्रविकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी है।
कार्यक्रम में उपस्थित अकादमी के निदेशक राजेश वाधवानी के आव्हान पर विद्यार्थियों ने दोहराया कि “हे प्रभु,जन्म दिया खंडित भारत में किंतु मृत्यु हो अखण्ड भारत में…”। वाधवानी ने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे प्रतिदिन यह पंक्ति प्रभु के समक्ष प्रार्थना रूप में अवश्य दोहराएं।
इस अवसर पर शिक्षाविद विष्णु गेहानी, आवास संघ के पूर्व अध्यक्ष सुशील वासवानी, बसन्त चेलानी, अकादमी के पूर्व निदेशक राजेन्द्र प्रेमचंदानी, साहित्यकार नन्द सनमुखानी, के टी दादलानी, भगवान बाबानी, परमानन्द बलवानी, गुरुदास रामचंदानी प्रमुख रूप से उपस्थित थे।